Rao Kuldeep Singh

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कोमल शय्या पर लेटे रहने की प्रत्याशा में स्वतन्त्रता का भी विसर्जन करना पड़ता है, यही उन विलासपूर्ण राजभवनों का प्रलोभन है।
चन्द्रगुप्त
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