बूढी काकी
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Started reading April 28, 2025
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बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है।
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यहाँ आने पर उन्हें उतना ही धैर्य हुआ, जितना भूखे कुत्ते को खाने वाले के सम्मुख बैठने में होता है !
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आघात ऐसा कठोर था कि हृदय और मस्तिष्क की सम्पूर्ण शक्तियाँ सम्पूर्ण विचार और सम्पूर्ण भार उसी ओर आकर्षित हो गये थे । नदी में जब कगार का कोई वृहत् खण्ड कटकर गिरता है, तो आस-पास का जल-समूह चारों ओर से उसी स्थान को पूरा करने के लिए दौड़ता है।
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अभिलाषा ने अपने पुराने स्वभाव के अनुसार समय की मिथ्या कल्पना की थी!
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थाल को जमीन पर पटक दिया और जिस प्रकार निर्दय महाजन अपने किसी बेईमान और भगोड़े कर्जदार को देखते ही झपटकर उसका टेटुआ पकड़ लेता है, उसी तरह लपककर उन्होंने बूढ़ी काकी के दोनों हाथ पकड़े और घसीटते हुए लाकर उन्हें अंधेरी कोठरी में धम से पटक दिया । बूढ़ी काकी की आशा रूपी वाटिका लू के एक ही झोंके से नष्ट-विनष्ट हो गयी ।
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सन्तोष-सेतु जब टूट जाता है, तब इच्छा का बहाव अपरिमित हो जाता है । मतवालों को मद का स्मरण करना उन्हें मदान्ध बनाता है।