पचास साल हुए घर से भागकर हाबडे गया था, तब से सुख भी देखे, दुख भी देखे। अब मना रहा हूं, भगवान् ले चलो। हां, बुढिया को अमर कर दो। नहीं, तो उसकी दुकान कौन लेगा, घर कौन लेगा और गहने कौन लेगा!
One sentence defines and raises a question on one's need for running behind money