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Kindle Notes & Highlights
मिथ्या दूरदर्शी नहीं होता, लेकिन वह दिन इतनी जल्दी आयगा, यह कौन जानता था।
तुम जवान आदमी हो, काम से न घबडाना चाहिए।’
गहनों का मर्ज़ न जाने इस दरिद्र देश में कैसे फैल गया। जिन लोगों के भोजन का ठिकाना नहीं, वे भी गहनों के पीछे प्राण देते हैं।
घंटे-आधा घंटे के लिए पुस्तकालय क्यों नहीं चले जाया करते। गप-शप में दिन गंवा देते हो अभी तुम्हारी पढ़ने-लिखने की उम्र है। इम्तहान न सही, अपनी योग्यता तो बढ़ा सकते हो
असली शिक्षा स्कूल छोड़ने के बाद शुरू होती है,
माता का उदास मुख देखकर रमा का ह्रदय मातृ-प्रेम से हिल उठा।
जालपा रूपहीन, काली-कलूटी, फूहड़ होती तो वह ज़बरदस्ती उसको परदे में बैठाता।
वह हमेशा दूसरों की राय देखकर राय दिया करते थे। खु़द सोचने की शक्ति उनमें न थी।
जब हम कोई काम करने की इच्छा करते हैं, तो शक्ति आप ही आप आ जाती है।

