Sudeshna Mitra

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यह रूपवती है, गुणशीला है, चतुर है, कुलीन है, तो हुआ करे, दहेज नही तो उसके सारे गुण दोष है, दहेज हो तो सारे दोष गुण है। प्राणी का कोई मूलय नही, केवल देहज का मूल्य है। कितनी विषम भगयलीला है!
निर्मला
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