निर्मला
Rate it:
Read between June 28 - July 28, 2021
2%
Flag icon
दुःखी हृदय दुखती हुई आंख है, जिसमें हवा से भी पीड़ा होती है।
7%
Flag icon
सांस का भरोसा ही क्या और इसी नश्वरता पर हम अभिलाषाओं के कितने विशाल भवन बनाते हैं! नहीं जानते, नीचे जानेवाली सांस ऊपर आयेगी या नहीं, पर सोचते इतनी दूर की हैं, मानो हम अमर हैं।
17%
Flag icon
यह रूपवती है, गुणशीला है, चतुर है, कुलीन है, तो हुआ करे, दहेज नही तो उसके सारे गुण दोष है, दहेज हो तो सारे दोष गुण है। प्राणी का कोई मूलय नही, केवल देहज का मूल्य है। कितनी विषम भगयलीला है!
57%
Flag icon
डॉक्टर साहब को कुल दो सौ रुपये मिलते थे, पर इतने में ही दोनों आनन्द से जीवन व्यतीत करते थे। घर मं केवल एक महरी थी, गृहस्थी का बहुत-सा काम स्त्री को अपने ही हाथों करना पड़ता थ। गहने भी उसकी देह पर बहुत कम थे, पर उन दोनों में वह प्रेम था, जो धन की तृण के बराबर परवाह नहीं करता।
57%
Flag icon
पर निर्मला सम्पन्न होने पर भी अधिक दुखी थी, और सुधा विपनन होने पर भी सुखी। सुधा के पास कोई ऐसी वस्तु थी, जो निर्मला के पास न थी, जिसके सामने उसे अपना वैभव तुच्छ जान पड़ता था। यहां तक कि वह सुधा के घर गहने पहनकर जाते शरमाती थी।
58%
Flag icon
बूढ़ा आदमी सोचता है- मुझे तो सारा खर्च संभालना पड़ेगा, कन्या पक्ष से जितना ऐंठ सकूं, उतना ही अच्छा। मगर वर का धर्म है कि यदि वह स्वार्थ के हाथों बिलकुल बिक नहीं गया है, तो अपने आत्मबल का परिचय दे। अगर वह ऐसा नहीं करता, तो मैं कहूंगी कि वह लोभी है और कायर भी।
61%
Flag icon
मुंशीजी-बहिन, एक-एक अंग तो मिलता है। बस, भगवान् ने मुझे मेरा मंसाराम दे दिया। (शिशु से) क्यों री, तू मंसाराम ही है? छौड़कर जाने का नाम न लेना, नहीं फिर खींच लाऊंगा। कैसे निष्ठुर होकर भागे थे। आखिर पकड़ लाया कि नहीं? बस, कह दिया, अब मुझे छोड़कर जाने का नाम न लेना। देखो बहिन, कैसी टुकुर- टुकुर ताक रही है?
62%
Flag icon
मानव जीवन! तू इतना क्षणभंगुर है, पर तेरी कल्पनाएं कितनी दीर्घाल!
72%
Flag icon
खुशी के साथ हंसनेवाले बहुतेरे मिल जाते हैं, रंज में जो साथ रोये, वहर हमारा सच्चा मित्र है। जिन प्रेमियों को साथ रोना नहीं नसीब हुआ, वे मुहब्बत के मजे क्या जानें?
98%
Flag icon
दरिद्र प्राणी उस धनी से कहीं सुखी है, जिसे उसका धन सांप बनकर काटने दौड़े। उपवास कर लेना आसान है, विषैला भोजन करन उससे कहीं मुंश्किल ।