निर्मला
Rate it:
1%
Flag icon
आकाश की और तृषित नेत्रों से ताक रही थी
2%
Flag icon
दुःखी हृदय दुखती हुई आंख है, जिसमें हवा से भी पीड़ा होती है।
4%
Flag icon
जिसे अपने घर सूखी रोटियां भी मयस्सर नहीं वह भी बारात में जाकर तानाशाह बन बैठता है।
7%
Flag icon
जीवन, तुमसे ज्यादा असार भी दुनिया में कोई वस्तु है? क्या वह उस दीपक की भांति ही क्षणभंगुर नहीं है, जो हवा के एक झोंके से बुझ जाता है! पानी के एक बुलबुले को देखते हो, लेकिन उसे टूटते भी कुछ देर लगती है, जीवन में उतना सार भी नहीं। सांस का भरोसा ही क्या और इसी नश्वरता पर हम अभिलाषाओं के कितने विशाल भवन बनाते हैं! नहीं जानते, नीचे जानेवाली सांस ऊपर आयेगी या नहीं, पर सोचते इतनी दूर की हैं, मानो हम अमर हैं।
35%
Flag icon
जब कोई बात हमारी आशा के विरुद्ध होती है, तभी दुख होता है।
61%
Flag icon
धन मानव जीवन में अगर सर्वप्रधान वस्त नहीं, तो वह उसके बहुत निकट की वस्तु अवश्य है।
62%
Flag icon
जीवन! तू इतना क्षणभंगुर है, पर तेरी कल्पनाएं कितनी दीर्घाल!
62%
Flag icon
मगर तिनके का सहारा पाकर कोई तट पर पहुंचा है?
73%
Flag icon
प्रेम में असीम विश्वास है, असीम धैर्य है और असीम बल है।