तीन साल पहले, मार्च, 1993 में दाऊद बम्बई बम धमाकों के एक मुख्य अपराधी के रूप में उभरकर सामने आ चुका था। यही वह समय भी था जब प्रधानमन्त्री पी. वी. नरसिंह राव मुल्क को लायसेंस राज की जकड़बन्दी से रिहा करने और हिन्दुस्तान की अर्थव्यवस्था को उदारीकरण के रास्ते पर ले जाने के लिए प्रयत्नशील थे।