लेकिन महाराष्ट्र के कुछ नेताओं की आशंकाओं ने इस काम में अड़ंगा डाल दिया। उन्हें इस बात की चिन्ता थी कि अगर दाऊद लौटा और अदालत द्वारा बरी कर दिया गया, तो राज्य और केन्द्र में बैठे बहुत से लोगों की गैरक़ानूनी सौदेबाज़ियों की कलई खुल जाएगी। यह विडम्बना ही थी कि मुकदमे की प्रक्रिया में दाऊद बहुत सारे राजनेताओं को अपने जल्लाद की शक्ल में बदलता दिख रहा था। अगर उसे वापस ले आया जाता, तो दुबई और लन्दन में उसके साथ की गई तमाम गैरक़ानूनी मुलाक़ातों का भण्डाफोड़ हो जाता। इन राजनेताओं को दाऊद द्वारा दी गई इमदाद का एक–एक दृष्टान्त सामने आ जाता।