‘उसे यह हवा कैसे लगी कि हम उसे गिरफ़्तार करने वाले हैं ?’ सोमन ने पूछा। ‘सर, हमारे मुसाफ़िरख़ाना पहुँचने के दस मिनट पहले उसके पास फ़ोन आया था और इतने में वह भाग गया,’ फ़ोन रिकॉर्ड्स को चैक करते हुए सब-इंस्पेक्टर विनोद भट्ट ने कहा। ‘उसे चेतावनी दी किसने ?’ सोमन को अभी भी भरोसा नहीं हो रहा था, क्योंकि जिन अफ़सरों को उन्होंने चुना था वे निहायत बेदाग चरित्र के निष्ठावान अधिकारी थे। उस वक़्त कोई नहीं जानता था, लेकिन बम्बई पुलिस ने गम्भीर भूल की थी। जब वह छोटी-सी टीम दाऊद के बहुत क़रीब थी, तभी पुलिस कमिश्नर ने मन्त्रालय के एक वरिष्ठ राजनेता से इस अभियान के बारे में सहमति और निर्देश हासिल करने की
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