पुलिस ने आख़िर अपना काम पूरा किया और उसे ख़त्म कर दिया। पुलिस इस तरह के मामलों में इंसाफ़ के लिए आमतौर पर अदालतों पर निर्भर नहीं करती। फिर उटेकर का मामला वैसे भी पुलिस का ज़ाती मामला था। वह न सिर्फ़ जेल का दरवाज़ा तोड़कर अन्दर घुसा था, जो कि पुलिस का आख़िरी दुर्ग है, बल्कि उसने वहाँ ड्यूटी पर तैनात एक अफ़सर को भी मारा था।