Dharmendra Chouhan

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एक डॉन के रूप में दाऊद की ज़िन्दगी में, 1980 के आस – पास, यह पहली बार था जब वह तस्करी की वजह से क़ानूनी तौर पर गिरफ़्तार किया जा रहा था। लेकिन वह अपने पैसे की ताक़त और बाहुबल की उस ऊँचाई पर था कि उसने सरकारी तन्त्र के भीतर लोगों को खाद–पानी देना शुरू कर दिया था। वह गवाहों को ख़रीदने और दस्तावेजों में हेरफेर की बदौलत 1983 में तमाम आरोपों से बरी कर दिया गया।
Dongri Se Dubai Tak (Dongri to Dubai: Six Decades of the Mumbai Mafia) (Hindi)
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