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उसके शोक में भाग लेकर, उसके अन्तर्जीवन में पैठकर, गोबर उसके समीप जा सकता उसके जीवन का अंग बन सकता था; पर वह उसके बाह्य जीवन के सूखे तट पर आकर ही प्यासा लौट जाता था।
गोदान
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