नेकी न करना बदनामी की बात नहीं। अपनी इच्छा नहीं है। इसके लिए कोई हमें बुरा नहीं कह सकता। मगर जब हम नेकी करके उसका एहसान जताने लगते हैं, तो वही जिसके साथ हमने नेकी की थी, हमारा शत्रु हो जाता है, और हमारे एहसान को मिटा देना चाहता है। वही नेकी अगर करने बालों के दिल में रहे, तो नेकी है, बाहर निकल आये तो बदी है।