Srikumar Krishna Iyer

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पत्र-संपादक अपनी शांति कुटी में बैठा हुआ कितनी धृष्टता और स्वतंत्रता के साथ अपनी प्रबल लेखनी से मंत्रिमंडल पर आक्रमण करता है। परंतु ऐसे अवसर आते हैं, जब वह स्वयं मंत्रिमंडल में सम्मिलित होता है। मंडल के भवन में पग धरते ही उसकी लेखनी कितनी मर्मज्ञ, कितनी विचारशील, न्यायपरायण हो जाती है। इसको उत्तरदायित्व का ज्ञान कहा जाता है। नवयुवक युवावस्था में कितना उद्दंड रहता है।