मानसरोवर 1: प्रेमचंद की मशहूर कहानियाँ
Rate it:
9%
Flag icon
चिपका हुआ टिकट अब पानी से नहीं छूट रहा है।
15%
Flag icon
तर्क ने भ्रम को पुष्ट किया।
18%
Flag icon
घर में चाहे अंधेरा हो, मंदिर में अवश्य दिया जलाएँगे।
22%
Flag icon
गाँव के काने और लँगड़े आदमी उसकी सूरत से चिढ़ते थे और गालियाँ खाने में तो शायद ससुराल में आने वाले दामाद को भी इतना आनंद न आता
23%
Flag icon
हमें मनुष्य के न्याय का डर न हो, परंतु ईश्वर के न्याय का डर प्रत्येक मनुष्य के मन में स्वभाव से रहता
25%
Flag icon
गोबर का उपला जब जलकर ख़ाक हो जाता है, तब साधु-संत उसे माथे पर चढ़ाते हैं। पत्थर का ढेला आग में जलकर आग से अधिक तीखा और मारक हो जाता है।
35%
Flag icon
वही तलवार, जो केले को नहीं काट सकती, सान पर चढ़कर लोहे को काट देती है। मानव-जीवन में लाग बड़े महत्त्व की वस्तु है। जिसमें लाग है, वह बूढ़ा भी हो तो जवान है। जिसमें लाग नहीं, गैरत नहीं, वह जवान भी मृतक है।
36%
Flag icon
नक़ल में भी असल की कुछ-न-कुछ बू आ ही जाती है।
48%
Flag icon
ऐश्वर्य के द्वेषी और शत्रु चारों ओर होते हैं। लोग जलती हुई आग को पानी से बुझाते हैं, पर राख माथे पर लगाई जाती है।
49%
Flag icon
एक बार बिच्छू ने कछुए की पीठ पर नदी की यात्रा की थी। यह यात्रा उससे कम भयानक न थी।
52%
Flag icon
बहुएँ एक-से-एक बढ़कर आज्ञाकारिणी।
53%
Flag icon
जिसने यह कुआँ खोदा, उसी की आत्मा पानी को तरसे, यह कितनी लज्जा की बात है!"
65%
Flag icon
गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता।
65%
Flag icon
कदाचित् सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है।
66%
Flag icon
अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
68%
Flag icon
उस एक रोटी से इनकी भूख तो क्या शान्त होती, पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
69%
Flag icon
"अपने घमंड में भूला हुआ है, आरज़ू-विनती न सुनेगा।"