The Oath Of The Vayuputras (Hindi)
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मगर कमजोर लोग कभी यह स्वीकार नहीं करते कि अपनी स्थिति के लिए वे स्वयं उत्तरदायी हैं। वे हमेशा परिस्थितियों को या दूसरे लोगों को दोष देते हैं।
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अति सर्वत्र वर्जयेत। अति से बचना चाहिए! किसी भी वस्तु की अति बुरी होती है। हममें से कुछ लोग अच्छाई की ओर आकर्षित होते हैं। किंतु ब्रह्मांड संतुलन रखने का प्रयास करता है। इसलिए जो कुछ लोगों के लिए अच्छा है, वह अन्यों के लिए बुरा हो सकता है। कृषि हम मनुष्यों के लिए अच्छी है क्योंकि यह हमें भोजन की सुनिश्चित आपूर्ति देती है, किंतु यह पशुओं के लिए बुरी है जो अपने वन और चरागाहों को खो देते हैं। प्राणवायु हमारे लिए अच्छी है क्योंकि यह हमें जीवित रखती है, किंतु अवायुजीवों के लिए जो खरबों वर्ष पहले जीवित थे, यह विषाक्त थी और इसने उन्हें नष्ट कर दिया।
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संसार में कोई भी, यहां तक की ईश्वर भी, हमें यह नहीं बता सकता कि हमारा कर्तव्य क्या है। केवल हमारी आत्मा बता सकती है। हमें बस मौन की भाषा के समक्ष समर्पण करना होगा और अपनी आत्मा की आवाज को सुनना होगा।
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“लोगों की प्रवृत्ति वह काम करने की होती है जो वे चाहते हैं, न कि वह जो उन्हें करना चाहिए।”
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भ्रम सर्वाधिक लुभावने विश्वासों को उत्पन्न करते हैं।
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अपनी त्रुटि सुधारने का मुझे एक और अवसर दिया गया है। मैं इसकी उपेक्षा नहीं कर सकती।