गजल

गजल
सुमन पोखरेल


कानून बनाएँ मयकशीका कानून-ए-मजहबी की तरह
फिर मिल के जलील करेँगे पण्डितको शराबी की तरह

बाहजाराँ ख्वाहीसेँ उछल रहे थे दिल में
वो मिले भी तो मिले कोई अजनबी की तरह

इजहार-ए-मुहब्बत का उम्मिद था मगर
चले गए वो शरमा के जब कभी की तरह

कब तक दूर रहते उन्हे आना ही था किसी रोज
वो आए शब-ए-जिन्दगी मे माहजबी की तरह

आहिस्ता आहिस्ता चढने लगा मुहब्बतका शुरूर
हम झुमने लगे शबाना रोज शराबी की तरह

शुरू मे तो खुदा सा लगने लगा था प्यार हमे
होले होले असर करने लगा खराबी की तरह

तजरिबा न था प्यार-ओ-मुहब्बतका हमें, सुमन !
देखते रहे उन्हे तसबीर-‍ए-किताबी की तरह

Suman Pokhrel
 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on August 18, 2015 04:42
No comments have been added yet.


सुमन पोखरेल Suman Pokhrel

Suman Pokhrel
This blog contains the literary works of poet, lyricist and translator Suman Pokhrel.
Follow Suman Pokhrel's blog with rss.