Dinesh Gupta's Blog, page 2
June 11, 2013
February 3, 2013
Dinesh Gupta Din - Meri Aankhon me mohabbat ke manjar hain ~ Yaadein ~ Collection of Hindi Urdu Poetry, Sher, Shayri, Gazal, Kavita
Published on February 03, 2013 09:07
July 4, 2012
दीया अंतिम आस का [एक सिपाही की शहादत के अंतिम क्षण ]
दीया अंतिम आस का [एक सिपाही की शहादत के अंतिम क्षण ]
दीया अंतिम आस का, प्याला अंतिम प्यास कावक्त नहीं अब, हास परिहास उपहास काकदम बढाकर मंजिल छू लूँ, हाथ उठाकर आसमाँपहर अंतिम रात का, इंतज़ार प्रभात का
बस एक बार उठ जाऊँ, उठकर संभल जाऊँदोनों हाथ उठाकर, फिर एक बार तिरंगा लहराऊँदुआ अंतिम रब से, कण अंतिम अहसास काकतरा अंतिम लहू का, क्षण अंतिम श्वास का
बस एक बूँद लहू की भरदे मेरी शिराओं मेंलहरा दूँ तिरंगा मैं इन हवाओं में........फहरा दूँ विजय पताका चारों दिशाओ मेंमहकती रहे मिट्टी वतन की, गूंजती रहे गूंज जीत कीसदियों तक सारी फिजाओं में………..
सपना अंतिम आँखों में, ज़स्बा अंतिम साँसों मेंशब्द अंतिम होठों पर, कर्ज अंतिम रगों परबूँद आखरी पानी की, इंतज़ार बरसात कापहर अंतिम रात का, इंतज़ार प्रभात का…
अँधेरा गहरा, शोर मंद,साँसें चंद, हौंसला बुलंद,रगों में तूफान, ज़ज्बों में उफान,आँखों में ऊँचाई, सपनों में उड़ानदो कदम पर मंजिल, हर मोड़ पर कातिलदो साँसें उधार दे, कर लूँ मैं सब कुछ हासिल
ज़ज्बा अंतिम सरफरोशी का, लम्हा अंतिम गर्मजोशी कासपना अंतिम आँखों में, ज़र्रा अंतिम साँसों मेंतपिश आखरी अगन की, इंतज़ार बरसात का
फिर एक बार जनम लेकर इस धरा पर आऊँसरफरोशी में फिर एक बार फ़ना हो जाऊँगिरने लगूँ तो थाम लेना, टूटने लगूँ तो बाँध लेनामिट्टी वतन की भाल पर लगाऊँमैं एक बार फिर तिरंगा लहराऊँ
दुआ अंतिम रब से, कण अंतिम अहसास काकतरा अंतिम लहू का, क्षण अंतिम श्वास कापहर अंतिम रात का, इंतज़ार प्रभात का......
दिनेश गुप्ता 'दिन' [ HTTPS://WWW.FACEBOOK.COM/DINESHGUPTADIN ]
Published on July 04, 2012 00:41
July 3, 2012
कैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ मैं………..
शब्द नए चुनकर गीत वही हर बार लिखूँ मैंउन दो आँखों में अपना सारा संसार लिखूँ मैंविरह की वेदना लिखूँ या मिलन की झंकार लिखूँ मैंकैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ मैं……………
उसकी देह का श्रृंगार लिखूँ या अपनी हथेली का अंगार लिखूँ मैंसाँसों का थमना लिखूँ या धड़कन की रफ़्तार लिखूँ मैंजिस्मों का मिलना लिखूँ या रूहों की पुकार लिखूँ मैंकैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ मैं…………….
उसके अधरों का चुंबन लिखूँ या अपने होठों का कंपन लिखूँ मैंजुदाई का आलम लिखूँ या मदहोशी में तन मन लिखूँ मैंबेताबी, बेचैनी, बेकरारी, बेखुदी, बेहोशी, ख़ामोशी……......कैसे चंद लफ़्ज़ों में इस दिल की सारी तड़पन लिखूँ मैं
इज़हार लिखूँ, इकरार लिखूँ, एतबार लिखूँ, इनकार लिखूँ मैंकुछ नए अर्थों में पीर पुरानी हर बार लिखूँ मैं........इस दिल का उस दिल पर, उस दिल का किस दिल परकैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा अधिकार लिखूँ मैं....................
होठों की ख़ामोशी लिखूँ या अंतर की आवाज़ लिखूँ मैं…अंजाम लिखूँ इश्क का या मुहब्बत का आगाज़ लिखूँ मैंगीत लिखूँ मिलन के या जुदाई के अल्फाज़ लिखूँ मैं...बिखरे हुए सुरों से कैसे कोई नया साज़ लिखूँ मैं........
कजरे की धार लिखूँ या फूलों वाला हार लिखूँ मैंलबों की शोखी लिखूँ या आँखों का इकरार लिखूँ मैंइस रीते तन-मन से, अधूरे, अकेले खाली पन सेकैसे नवयौवन-मधुबन का सारा श्रृंगार लिखूँ मैं
कैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ मैं………..
दिनेश गुप्ता ‘दिन’ [https://www.facebook.com/dineshguptadin]
Published on July 03, 2012 12:49