Rakesh Kumar Srivastava 'Rahi'

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Average rating: 3.63 · 54 ratings · 5 reviews · 5 distinct worksSimilar authors
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Quotes by Rakesh Kumar Srivastava 'Rahi'  (?)
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“मैंने महसूस किया है कि लगभग सभी के दाम्पत्य जीवन में जो गलती करता है और उसे एहसास भी है कि मैंने गलती की है, परन्तु झूठे अभिमान के कारण उसे स्वीकार नहीं कर, अपनी आनंद पूर्ण गृहस्थ जीवन में कलह का बीज बोता चलता है और ता-उम्र उस नफ़रत रुपी बरगद की छाँव में जीने को मजबूर होता है। भारत में तो सदियों से दैवीय चमत्कार के कारण, एक दाम्पत्य जीवन में एक गर्म स्वभाव वाला और दूसरा नर्म स्वभाव वाला होने के कारण जिंदगी चलती रहती है। मतभेद होने के बावजूद और न चाहते हुए भी एक साथ जीवन व्यतीत करते हैं।
-उपन्यास 'एक नदी चार किनारे”
Rakesh Kumar Srivastava 'Rahi'

“कभी-कभी किसी मनोरोगी के व्यवहार में आए परिवर्तन से हमें भ्रांति होने लगती है कि कहीं हम, उस व्यक्ति के बारे में गलत तो नहीं सोच रहे हैं। जब वह सब काम ठीक से कर रहा है तो मनोरोगी कैसे हो सकता है। किसी विशेष परिस्थिति में वह कोई आपत्तिजनक हरकत कर भी दे तो क्या उसके द्वारा किए गए अन्य कार्यों की उपेक्षा कर उसे मनोरोगी कहना क्या सही होगा और देखा जाए तो प्रत्येक व्यक्ति में कुछ-ना कुछ मनोरोग के लक्षण तो रहते ही हैं।”
Rakesh Kumar Srivastava 'Rahi', Dhai Kadam

“भविष्य के गर्त में अपना एवं अपनों के साथ क्या होगा यह जानने की इच्छा तो सभी को रहती है परन्तु भूतकाल के गर्त में किसी के साथ क्या हुआ था, यह जानने के लिए भी सभी उत्सुक रहते हैं और इसी के कारण अफवाहों का बाज़ार सदियों से गर्म रहा है। निजी संबंधों के बारे में तो शायद किसी को भी नहीं पता रहता या चंद लोगों को ही पता रहता है कि घटना के पीछे का वास्तविक राज़ क्या था?”
Rakesh Kumar Srivastava 'Rahi', Dhai Kadam



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