ashish singhal
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“मन का अर्थ ही है अशांति, जब शांति होती है तो मन नहीं होता है। प्राणों में जब कंपन होता है तो विचार की उत्पत्ति होती है। मन और कुछ भी नहीं बल्कि ये विचारों का समूह ही है।”
― ध्यान
― ध्यान
“ध्यान अंत:प्रज्ञा का उदय है, प्रेम का आविर्भाव है, शर्त रहित करुणा और असीम संतोष का प्रागट्य है। ध्यान अपने आप में मुक्ति का अनुभव है”
― ध्यान
― ध्यान
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