विश्व का सबसे प्राचीन व ऐतिहासिक देश भारत, ज्ञान के साथ-साथ वैज्ञानिक परम्पराओं का जनक भी है। अणोरणीयान् महतो महीयान् इन दोनों विचारधाराओं का समन्वय भारतीय चिन्तन परम्परा में सर्वत्र दृग्गोचर होता है। एक से अनेक में परिणत होने वाली वैज्ञानिक प्रक्रिया और भिन्न-भिन्न तत्वों में एकता की उद्भावना हमारी संस्कृति की अनुपम विशेषता है। यह देश प्रारम्भ से ही प्रातिभ दृष्टि से इतना सम्पन्न रहा है कि इसने सप्तद्वीपा वसुन्धरा में रची-बसी समूची मानव सभ्यता को व्यावहारिक धरातल पर शिक्षित तो किया ही जीवन-रस को खोजने का आध्यात्मिक दृष्टिकोण भी प्रदान किया। वह वैभवशाली भारत था,अतुल्य भारत था। वर्तमान परिदृश्य में भारत पुनः एक महाशक्ति के रूप में दुनिया का प्रमुख केन्द्र बन रहा है। शिक्षा, रक्षा, अर्थ, वाणिज्य, अभियांत्रिकी, चिकित्सा, प्रौद्योगिकी, खगोलीय आदि क्षेत्रों में, भारत की स्वीकार्यता लगातार बढ़ी है। आज भारत की सनातन संस्कृति, जीवन-दर्शन, रहन-सहन, आहार-विहार, योगचर्या, धर्म व अध्यात्म की परम्पराओं एवं मान्यताओं पर सतत अनुसंधान नितान्त अपेक्षित है। यह पुस्तक भारत की इसी ऐतिहासिकता को उद्घाटित करती है।