सिंधु काल के प्रीस्ट किंग की मूर्ति तथा मौर्य काल की यक्षिणी की मूर्ति की तुलना कीजिए। दोनों मूर्तियों की नाक टूटी हुई है और दोनों का एक - एक हाथ टूटा हुआ है। यह आकस्मिक हो सकता है। मगर दोनों मूर्तियों के सिर पर जो गोलाकार शिरोभूषण है, वह आकस्मिक नहीं है, वह एक खास किस्म की सभ्यता के संकेतक है और वह सभ्यता है - बौद्ध सभ्यता।

