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Kindle Notes & Highlights
परिवार के मुखिया का यह कर्तव्य होता है कि वह सभी को परस्पर निर्भर रखे, ताकि वे जीवन के किसी भी क्षण में अपने कंधे को झुका हुआ न मानें।
प्रकृति की सभी शक्तियों के समुच्चय का सर्वोच्च रूप है काली।
ध्यान बिना किसी याद के किया जाता है।’
‘ईश्वर के स्वरूप को समझने के लिए मानना पड़ेगा कि जैसे आकाश में एक साथ सहस्र सूर्य एक साथ उदित हो जाएँ, तब जैसी ज्योति, जैसा प्रकाश, जैसा दिव्यत्व पैदा होगा, ईश्वर लगभग उस दिव्यत्व की तरह वैसा है।’
तांत्रिक अनुशासन में हर वस्तु या घटना के पीछे ईश्वर की उपस्थिति मानी जाती है। इस अंतर्दृष्टि में जो अवरोध आते हैं, पहला है आकर्षण और दूसरा है विमुखता।
मंत्र की लगातार पुनरावृत्ति ‘जप’ कहलाती है।
हर कर्म का पथ ईश्वर की ओर जाता है।
‘ईश्वर को पिता की तरह प्रेम करो। प्रश्न न उठाओ। एक छोटा बच्चा अपने पिता को सिर्फ प्यार करता है। बाकी सब उसके पिता के जिम्मे है—उसकी सुरक्षा, व्यवस्था, कपड़े और जीवनोपयोगी तमाम अन्य वस्तुएँ।’
‘मैं जन्मजात शिष्य हूँ। सब पदार्थ मेरे शिक्षक हैं और मैं प्रत्येक वस्तु से शिक्षा ग्रहण करता हूँ।’

