Nitish Kumar Singh

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वर्ष १८७९ में ब्राह्मसमाज की पत्रिकाओं में रामकृष्ण पर कई लेख छपे। इससे उनके भविष्य के शिष्य तेजी से उस चुंबकीय क्षेत्र की ओर खिंचने लगे। इतना ही नहीं, मध्यम वर्गीय बंगाली समाज भी रामकृष्ण की ओर मुड़ गया। इनमें सभी तरह के लोग थे।
Ramakrishna Paramhans (Hindi)
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