Nitish Kumar Singh

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अगाध विश्‍वास, दैहिक प्रतीति, जैसा निश्चित भरोसा धरती के किसी पुजारी को आज तक नहीं हुआ, जैसा गदाधर को हुआ। इसी सबने उन्हें परमहंस बनाया। कोई और होता तो प्रश्न करता—आप कौन? मुझे पढ़ाने में आपकी रुचि क्यों? इत्यादि। कई सवाल हो सकते थे, जो पूछे जा सकते थे, मगर नहीं पूछे गए। कुछ विधायी उत्तर होते हैं, जिनके बाद आज्ञात्मक मुहर तो लगाई जा सकती है, लेकिन प्रश्न नहीं उठाए जा सकते। रामकृष्ण ने भी यही किया।
Ramakrishna Paramhans (Hindi)
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