एक समय एक सूफी संत दक्षिणेश्वर आए। उनका नाम गोविंद राय था। उनकी सरलता, साधुता और सहिष्णु प्रवृत्ति ने रामकृष्ण को प्रभावित किया। वे उनसे दीक्षित भी हुए। बाजाप्ता उन्होंने उनसे भी साधना करना सीखा। इस बीच रामकृष्ण अल्लाह के मंत्र का जप करने लगे। इतना ही नहीं, दिन में पाँच बार नमाज भी अदा की। रामकृष्ण की इस साधना के समय उन्होंने मंदिरों में जाना बंद कर दिया था। इसलिए ऐसे में हिंदू पद्धति में साधना का तो सवाल ही नहीं उठता था। कहते हैं, तीन दिन तक लगातार उनकी साधना से प्रसन्न होकर उन्हें पैगंबर हजरत मोहम्मद के दर्शन हुए।

