Nitish Kumar Singh

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मनुष्य के विचार में ईश्‍वर अत्यंत व्यापक संज्ञा है। इसीलिए ईश्‍वर को व्यक्त करता इतना ही व्यापक कोई शब्द चाहिए था, और व्यापक शब्द क्या हो सकता था? निश्चित ही वही ऐसा शब्द हो सकता था, जो उच्चारण में गले, मुँह और जिह्वा सभी का एक साथ इस्तेमाल करवा सके। यह ध्वनि आधारित शब्द है। भौतिक-शास्त्र में हुई नई खोजों ने साबित किया है कि ध्वनि का अपना प्रभाव है। संस्कृत में ध्वनि के ऐसे अनेक प्रयोग हैं, जिनसे शब्द का अर्थ के अनुवाद के अलावा भी इस्तेमाल है। इसमें ॐ भी एक है ‘अ’ ‘उ’ ‘म’ लगभग यह ध्वनि ‘ॐ’ के उच्चारण में प्रयुक्त होती है।
Ramakrishna Paramhans (Hindi)
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