रामकृष्ण वास्तव में धर्म का वास्तविक स्वरूप समझाने की कोशिश में लगे रहे। इतना ही नहीं, उन्होंने सर्वधर्म समभाव का मंत्र भी हर धर्म से रखा। अंतरंग पार्षद तो बाद में जुड़े। इससे पहले ही शंभु मलिक, कृष्ण किशोर, गौरी पंडित, पद्म लोचन आदि ने रामकृष्ण के दर्शन कर उन्हें अवतार कहकर घोषणा की थी।

