इसके बाद नरेंद्र सोचने लगा कि ईश्वर ने इतनी बार की उसकी प्रार्थना को अनसुना क्यों कर दिया? यदि वह है तो धरती पर इतनी तकलीफ क्यों है? इतना संत्रास और इतनी पीड़ा क्यों है? फिर उनके दिमाग में पं. ईश्वरचंद्र विद्यासागर (१८२०-९१) की बात कौंधी कि यदि ईश्वर इतना ही दयालु और अच्छा है तो लाखों लोगों को सिर्फ एक निवाले के लिए क्यों मरने देता है? नरेंद्र नास्तिक हो गए।

