नरेंद्र से मिलने से पहले परमहंस माँ काली से कहा करते—माँ, किसी एक को तो भेज, जो मेरे प्रामाणिक अनुभवों की प्रामाणिकता पर सवाल खड़ा कर सके। नरेंद्र ने हिंदू ईश्वरों को मानने से इनकार किया। आरंभ में उसकी अद्वैतवाद से भी पटरी नहीं बैठी। उसने परमहंस से कहा, ‘चाहे लाखों लोग आपको ईश्वर मानते हों, लेकिन मेरा मन जब तक इस बात के लिए राजी नहीं होता, क्षमा कीजिए, मैं ऐसा नहीं कह सकूँगा।’ रामकृष्ण ने मुसकराकर कहा, ‘हर वह बात, जो मैं कह रहा हूँ, उसे सिर्फ इसलिए मत मानना कि मैं कह रहा हूँ, बल्कि तभी उन बातों को स्वीकार करना, जब तुम उन्हें जाँच-परख लो और इत्मीनान कर लो कि वे सही हैं।’ रामकृष्ण नरेंद्र के
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