Onkar Thakur

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अपढ़, अजान विश्व ने पाई शीश झुकाकर एक धरोहर। कौन दार्शनिक दे पाया है अब तक ऐसा जीवन-दर्शन? कालिंदी के कल कछार पर कृष्ण-कंठ से गुँजा जो स्वर अमर राग है, अमर राग है।
चुनी हुई कविताएँ
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