Karan Kumar

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ग़ुर्राता, चिंघाड़ता बादल— अक्सर ऐसे लूट के ले जाता है बस्ती, जैसे ठाकुर का कोई ग़ुन्डा, बदमस्ती करता निकले इस बस्ती से!!
रात पश्मीने की
by Gulzar
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