Karan Kumar

10%
Flag icon
काले घर में सूरज रख के, तुमने शायद सोचा था, मेरे सब मोहरे पिट जायेंगे, मैंने एक चिराग़ जला कर, अपना रस्ता खोल लिया
रात पश्मीने की
by Gulzar
Rate this book
Clear rating