Karan Kumar

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उन पर काले काले पंछी—— ऐसे ध्यान लगाये बैठे रहते हैं जैसे कोई हिन्दी के अक्षर ला कर, रख जाता है! शाम पड़े ही, रोज़ाना कोई राज कवि इन तारों पर, इक दोहा लिख जाता है!
रात पश्मीने की
by Gulzar
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