Karan Kumar

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शीशम अब तक सहमा सा चुपचाप खड़ा है, भीगा भीगा ठिठुरा ठिठुरा। बूँदें पत्ता पत्ता कर के, टप टप करती टूटती हैं तो सिसकी की आवाज़ आती है! बारिश के जाने के बाद भी, देर तलक टपका रहता है! तुमको छोड़े देर हुयी है— आँसू अब तक टूट रहे हैं
रात पश्मीने की
by Gulzar
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