Karan Kumar

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‘फ़ैज़’ से मिलने गया था, ये सुना है, ‘फ़ैज़’ से कहने, कोई नज़्म कहो, वक़्त की नब्ज़ रुकी है! कुछ कहो, वक़्त की नब्ज़ चले!!
रात पश्मीने की
by Gulzar
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