Pararth Dave

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बूँद-बूँद के हेतु कभी तुझको तरसाएगी हाला, कभी हाथ से छिन जाएगा तेरा यह मादक प्याला; पीनेवाले, साक़ी की मीठी बातों में मत आना; मेरे भी गुण यों ही गाती एक दिवस थी मधुशाला | 113
मधुशाला
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