A R Kushwaha

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क्या पीना, निर्द्वन्द्व न जब तक ढाला प्यालों पर प्याला, क्या जीना, निश्चिंत न जब तक साथ रहे साक़ीबाला, खोने का भय, हाय, लगा है पाने के सुख के पीछे मिलने का आनंद न देती मिलकर के भी मधुशाला
मधुशाला
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