A R Kushwaha

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कहाँ गया, वह स्वर्गिक साक़ी, कहाँ गई सुरभित हाला, कहाँ गया स्वप्निल मदिरालय, कहाँ गया स्वर्णिम प्याला ! पीनेवालों ने मदिरा का, मूल्य, हाय, कब पहचाना ! फूट चुका जब मधु का प्याला, टूट चुकी जब मधुशाला
मधुशाला
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