Bhisham Sahni was born in Rawalpindi, British India. He was a Hindi writer, playwright, and actor, most famous for his novel and television screenplay Tamas ("Darkness, Ignorance"), a powerful and passionate account of the Partition of India. He was awarded the Padma Bhushan for literature in 1998] and Sahitya Akademi Fellowship in 2002.
एक बच्चे की नज़र से उसके छोटे से परिवार ( हालांकि एकल परिवार के प्रचलित होने से पहले की कहानी है) की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी एवं सदस्यों के व्यवहार की कहानी कैसी प्रतीत होती है, उसका एक वृहद उदाहरण है भीषम साहनी की 'झरोखे'। एकदम साधारण सी पृष्ठभूमि पर एक कसी हुयी कहानी को लिखने की कला साहनी जी से सीखी जा सकती है। बेहद सरल संवाद के साथ पेश की गयी इस कहानी में बच्चे के जिज्ञासु स्वाभाव को भली-भांति से दिखाया गया है। एक छत के नीचे रहते हुए एक परिवार में किस प्रकार छोटी छोटी बातें कई दफे सब की ज़िन्दगी में बड़े बदलाव लाती है एवं उनके जीवन में निर्णायक सिद्ध होती है इसका चित्रण बेहद नाज़ुक अंदाज़ से किया गया है। 'झरोखे' से हमे उस दौर का नज़राना दीखता है जब धर्म और जाती व्यवस्था समाज का महत्वपूर्ण भाग था। मुसलमान व्यापारी का घर पे आना एक बड़ी बात था और उनके चाय का कप अलग से कोने में रखना आम था। जब कश्मीर से आये चचेरे-फुफुरे भाई-बहन अजनबियों की तरह मिलते थे और वीर्य पात होने पे किशोर लड़के अपने आप को कोसते थे। कहानी का प्रारूप एवं चित्रण बेहद उम्दा है, मगर शायद हर पाठक पसंद ना करें। थोड़ा समय का ज्ञान एवं इस दौर में रूचि होना जरुरी है। मगर कुछ नया खोजने वाले जरूर पढ़ें, आनं�� अवश्य आएगा!