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353 pages, Hardcover
First published January 1, 1954
मलेटरी=military; कुलेन = quinine; पंडित जमाहिरलाल = Jawahar Lal (Nehru);भोलटियरी = Volunteer; डिसटीबोट = District Board; भैंसचरमन = vice chairman’ बिलेक = black; भाखन = भाषण; सरग = स्वर्ग; सोआरथ = स्वार्थ; सास्तर पुरान =शास्त्र पुराण; तेयाग = त्याग; परताप = प्रताप; मैनिस्टर = minister; रमैन = रामायण; गन्ही महतमा = Mahatma Gandhi; ललमुनिया = aluminium; रेडी = radio; इनकिलास जिन्दाबाघ = इन्किलाब ज़िंदाबाद; गदारी = गद्दारी; किरान्ती = क्रांति; गाट बाबू = guard; चिकीहर बाबू = ticket-checker; रजिन्नर परसाद = राजेंद्र प्रशाद; आरजाब्रत = अराजकता; सुशलिट = socialist; लोटिस = notice; परसताब =प्रस्ताव; कानफारम = confirm; सुस्लिंग मुस्लिंग = socialist muslin league; लौडपीसर = loudspeaker; इसपारमिन = experiment; ऐजकुटी मीटिं = executive meeting; पेडिलाभी = paddy levy; डिल्ली = दिल्ली बालिस्टर = barrister; बिलौज = blouse; कनकसन = connection; लौजमान = नौजवान; नखलौ = लखनऊ; जयपारगस = जयप्रकाश (नारायण); मिडिल = medal; लचकर = lecture; देसदुरोहित = देशद्रोही; भाटा कंपनी = Bata company; जोतखीजी = ज्योतिषीजी; कौमनिस पाटी = communist party; डिबलूकट = duplicate; मेले = MLA; बदरिकानाथ = बद्रीनाथ; टकटर = tractor'रेणु'के व्यंग की कुशाग्र शैली
और तुरही की आवाज़ सुनते ही गांव के कुत्ते दाल बांधकर भौंकना शुरू कर देते हैं। छोटे-छोटे नजात पिल्ले तो भोंकते-भोंकते परेशान हैं। नया-नया भोंकना सीखा है न!ग्रामीण स्तर पर सियासी बहस और मतभेद के बीच आरएसएस/हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता का वक्तव्य
"इस आर्यावर्त में केवल आर्य अर्थात् शुद्ध हिन्दू ही रह सकते हैं," काली टीपी संयोजक जी बौद्धिक क्लास में रोज कहते हैं। "यवनों ने हमारे आर्यावर्त की संस्कृति, धर्म, कला-कौशल को नष्ट कर दिया है अभी हिन्दू संतान मलेच्छ संस्कृति के पुजारी हो गयी है। "न्यायालय में भ्रष्टाचार व नैतिक अधमता का नमूना
कचहरी में जिला भर के किसान पेट बाँध के पड़े हुए हैं। दफा ४० की दर्खास्तें नामंजूर हो गयी हैं, 'लोअर कोट' से। अपील करनी है। अपील? खोलो पैसा, देखो तमाशा। क्या कहते हो? पैसा नहीं है? तो हो चुकी अपील। पास में नगदनारायण हो तो नगदी कराने आओदेश के विभाजन का कटु सत्य
यह सब सुराज का नतीजा है। जिस बालक के जन्म लेते ही माँ को पक्षाघात हो गया और दूसरे दिन घर में आग लग गयी, वह आगे चल के क्या-क्या करेगा, देख लेना। कलयुग तो अब समाप्ति पर है। ऐसे ऐसे ही लड़-झगड़ कर सब शेष हो जायेंगे।एक यादगार कहानी और पात्र, मैं फणीश्वर नाथ रेणु की इस पुस्तक को मुंशी प्रेमचंद की कृतियों से अधिक उत्तम आंकता हूँ।