दर्द का वो नायाब क़तरा...





दरद का एक नायाब क़तरा छिटक कर मेरे दामन में आया उसे सहेजा  मैंने,दिल से अपनाया एक छोर से फिसलते अरमानों  को,कस कर थाम था मैंने उसी में ढूँढा था एक सपना सलोना छिटकती नरम धूप,झील का वो किनारा, अंजाना सा वो धीमी मुसकुराहटें, पहचानी सी छन से टूटा वो सपना बस एक पल में, छिन गया मुझसे मालूम था मुझे...शायद,दरद का वो नायाब क़तरा छिन जाए ग़र कभी,तो इतना ही दरद होगा. 



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Published on January 04, 2016 07:34
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message 1: by Rajan (new)

Rajan अति उत्तम. कीप ईट अप.


message 2: by Tarang (new)

Tarang Sinha Rajan wrote: "अति उत्तम. कीप ईट अप."

Rajan wrote: "अति उत्तम. कीप ईट अप."

Thank you!


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