अखंड भारत एक शब्द ही नहीं एक मिसाल भी है कि विविधता से भरा देश खुद में कितने घटक समाये हुये है। पर आज़ादी के बाद से ही राजनैतिक मतलबों के लिए और प्रगति कि आड़ में किसानो, कबीलो के मौलिक अधिकारो का हनन होता रहा है। जिसने आवाज़ उठायी उसको हिंसा कि विचारधारा का समर्थक बता कर जेल भेजा गया, मार दिया गया या वो गायब हो गया। अशिक्षा और जागरूकता कि कमी के कारण से ये सिलसिला निरंतर चलता रहा। कुछ इलाको में समानांतर सरकारो, विद्रोह के जन्म से सरकार को अपनी गलत, एकतरफा नीतियों के बचाव के साथ उनको बढ़ाने का मौ...
Published on January 28, 2014 07:48