”बहरी दुनिया” रैगिंग पर आधारित एक संदेश है, यह कविता मैंने 2006 मे लिखी थी तब यह समस्या अब के मुकाबले बड़ी थी। भारत में पिछले दो दशकों में जागरूकता के स्तर मे काफी सुधार हुआ है। पहले की तुलना में अब शिक्षा की अहमियत समझी जा रही है पर इस सुधार के अलावा तेज़ी से बढती जनसँख्या की वजह से बड़ी डिग्रीयां भी जीवन यापन के लिये विषम होती जा रहे समाज मे छोटी पड़ रहीं है। विज्ञानं, कला और इनके अंतर्गत पढ़ायी जाने वाली बातों पर तो शासन और जनता का ध्यान रहता है पर डिग्री पाकर पैसा कमाने की होड़ मे मानव मूल्यों...
Published on November 19, 2013 04:05