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'कहाँ रख दिया मैंने अपनी प्यारी टोपी को?' भास्कर ने सोचा। यहीं बिस्तर पर ही तो रखा था शायद। रज़ाई हटाकर, तकियों को हटाकर, यहां तक कि अलमारी में भी देख लिया जहां उसके होने की कोई सम्भावना नहीं थी, पर वो नहीं मिली। एक तो इतनी ठंड से बड़ी कोफ़्त होती है उसे। और उसपर से इन टोपियों और ज़ुराबों की गाहेबगाहे खो जाने वाली आदत बहुत बुरी होती है। बस यही एक टोपी है उसके पास, डार्क मरून रंग की, हाथ से बुनी हुई, जिसे वो घर पे पहनता है। बाहर पहन कर जाओ तो उसके दोस्त कहते, "अरे यार...
Published on January 15, 2023 09:35