Laash

लाशये किसने लाश फेंक दी जवानियों की राह मेंअभी नमूद-ए-ज़िन्दगी बसी ना थी निगाह मेंअभी दरीचे-ए-सहर खुला ना थाअभी फसूं-ए-तीरगी मिटा ना थासुकून में ज़माना थाअभी गुज़र रहे थे हम जवार ए रज़्मगाह मेंये किसने लाश फ़ेंक दी जवानियों की राह मेंये ख़ून-ए-इश्क-ओ-आह थाये शाम-ए-ग़म का अक्स था, ये एक इन्तबा थासितमगरों के तरकशों का तीर थामगर बारह-ए-मस्लेहतअभी ये सख़्त चुटकियों के पेच में असीर थाके अब
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Published on May 21, 2021 10:42
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