The Loss
MUMBAI SERIES : CHAPTER VI
Photo by Keenan Constance on Pexels.comजब बस स्टॉप पर कोई जुगल जोड़ा हंसकर इशारों में कानो में निजी बातें करेगा तब वो चीज़ तुम्हे हमारे फक्कड़ मगर खुशहाल दिनों की याद दिलाएगी |
जब शाम को घर में घुसकर वो पनीर की सब्ज़ी की खुशबू तुम्हे ना सताएगी ये कमी तुम्हे मेरी याद दिलाएगी ||
वो मंदिर जाने से पहले नहाने के लिए डांटना, प्यार से टोकना, वह हर बात जो मैं तुम्हें कहती थी, वह कोई और कहेगा तो तुम्हें मेरी याद दिलाएगी |
जब कोई बच्चा भागकर यूँ छिपकली से डरेगा, उसकी वो मासूमियत भी तुम्हे मेरी याद दिलायेगी ||
जब जब तन्हा उदास और नाराज, मांगूगी खुदा से कि तुम्हें भी मेरी याद परेशान करें, तब तब तुम्हें मेरी याद सताएगी |
फिर खुद को समझा कर करूंगी यह दुआ की मेरी कभी ना याद सताए तुम्हें, ना आए मुझे याद कर तुम्हारे आंखों में आंसू कभी पर यह दिलदारी भी मेरी तुम्हें मेरी याद तो जरूर दिलाएगी ||
ऐसा नहीं है कि मुझे तुम्हारी याद नहीं आएगी |
जब भी अरमानों से सजे शादी के कार्ड को देखूंगी, मुझे तुम्हारी याद सताएगी ||
वो एक परफ्यूम की बोतल मैंने दी थी तुम्हें, यहां छोड़ कर चले गए तुम, वो हर बार मुझे तुम्हारी याद दिलाएगी |
जब कोई बैंगन बनाने पर मुझे नहीं रोकेगा, तब मुझे तुम्हारी याद आएगी ||
घर नामक जगह जो अब चारदीवारी रह गया है बस, जब अकेली बैठ उन दीवारों को देखूँगी तोह तुम्हारी याद सताएगी |
जब सोचूंगी इन तस्वीरों का क्या करूं जो ना फेंकते बनती है और ना देखते, उन् तस्वीरों के टूटे टुकड़े आंखों में जब चुभेंगे तब तब वो मुझे तुम्हारी याद दिलाएगी ||
शादी शब्द जो अब बेमाना सा होगया है मेरे लिए , वो जब किसी के न्योते में देखूँगी तोह तुम्हारी याद आएगी |
तुम्हारे वाले शैंपू की खुशबू जब कभी हवा में आएगी तब वो मुझे तुम्हारी याद दिलाएगी ||
जब-जब रातों को अकेले बैठकर सोचूंगी क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती होगी तब तब मुझे तुम्हारी याद सताएगी |
लेखिका हूँ मगर यह विडंबना है, कि अपने आंसुओं को रोक कर बैठी हूं | कुछ लिखती नहीं हमारे बारे में क्योंकि वह दिल का दर्द जब शब्दों के मोती बनकर बाहर निकलेगा तब वो मुझे तुम्हारी याद दिलाएगा ||
पर आज लिख रही हूं भारी हृदय और भरे गले से आंखें अब भी छलक रही है मगर लिख रही हूं क्योंकि कुछ तो अच्छा वक्त भी था और यह कविता मुझे उसकी याद दिलाएगी |


