दो साल पहले (19 April 2018) को जीवन में एक बदलाव आया कुछ आदतें बदली और कुछ आदतें बदलवाई थोड़ी बातें और ढेर सारी यादें बनाई एक रचनातमक वयकति की पराथमिकताएं अलग होती हैं...उसे दुनिया में रहना भी है और दुनियादारी में पड़ने से भी परहेज़ है ऐसे में डर होता है कि कया शादी के बाद भी यह सोच बनी रहेगी या नहीं? पहले मेघा और अब परभव ने मिलकर मुझे जीवन के कई पाठ पढ़ाए इनहोनें बताया कि पराथमिकताएं कोई बाइनरी कोड नहीं जिनहें या तो रखा जाए या छोड़ा जाए...इंसान नए नज़रिये और जीने के ढंग के साथ पराथमिकताओं में कुछ...
Published on April 20, 2020 10:14