बिन अकषर वोह उडते पनने, और कलम की सूखी हुई सयाई सुना चली ...

बिन अकषर वोह उडते पनने,
और कलम की सूखी हुई सयाई
सुना चली वोह अनसुनी दासतां
जो हम केह के भी केह ना सके

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Published on September 19, 2018 02:50
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